बनभूलपुरा बवाल को अंजाम देने दंगाईयों से जिस तरह पुलिस के एक बाद एक दंगाई को पकड़ रही है। उससे साफ होता है कि जिले की कमान एक ऐसे कप्तान के हाथ में दी गई है जो पूरे बवाल में भी अपने सिपाहियों के साथ रहा। शुरू में जब फोर्स आयी तो थोड़ी देर में चारों ओर से पत्थरबाजी शुरू हो गई। ऐसे में कप्तान प्रहलाद सिंह मीणा खुद ढाल बनकर आये। इससे पहले 31 जनवरी को जो अतिक्रमण ध्वस्त किया गया था उस मलबे के ऊपर कई उपद्रवी एकत्र हो गये थे और मारो-मारो के चिल्ला रहे थे, ऐसे में कप्तान ने आवाज लगाई खदेड़ों इनको। इसके बाद वह जगह पूरी तरह से खाली हो गई। उपद्रवी गलियों की ओर भाग गये। फिर पत्थरबाजी दोबारा शुरू हुई तो कप्तान बोले सभी अपने सरों को बचाओ खदेड़ों इनको।
इस दौरान कई पत्थर कप्तान पर भी बरसें, लेकिन उन्होंने अपनी टीम का साथ नहीं छोड़ा। जब अंधेरा हुआ जेसीबी लौटने लगी तो चारों और से पत्थरबाजी शुरू हुई। कप्तान बोले बचाओ अपने को, सभी लोग अपने को बचाने की कोशिश में थे। मंजर ऐसा था सांसे थम सी गई। इसी भी फोर्स गांधीनगर की और भागी तो दंगाईयों ने बनभूलपुरा थाना घेर दिया और पेटोल बम से हमला कर दिया। जैसे ही सूचना कप्तान को मिली तो वह मौके की ओर भागे उनके पीछे फोर्स भागी, जिसके बाद दंगाईयों को काबू किया गया। बनभूलपुरा थाने को कब्जे में लिया गया। वहां फंसे पुलिसकर्मियों को निकाला गया। कप्तान मीणा हर कदम पर अपने सिपाहियों के साथ खड़े रहे और अब वह हर दंगाई से एक-एक पैसे का हिसाब ले रहे है। अभी तक 30 उपद्रवी गिरफ्तार किये जा चुके हैं। जिस तरह से नगर निगम, पुलिस और मीडिया से आगजनी, पत्थरबाजी और बेरहमी से मारपीट की गई। वह काफी निंदनीय है।